Chio̍h-pan sī Serranidae-kho ē-kha chi̍t toā lūi, hun-lūi-siōng hō chò Epinephelinae, sī chi̍t-ê a-kho. Ū-ê chio̍h-pan mā hōng kiò lô͘-hî.
Chio̍h-pan sī Serranidae-kho ē-kha chi̍t toā lūi, hun-lūi-siōng hō chò Epinephelinae, sī chi̍t-ê a-kho. Ū-ê chio̍h-pan mā hōng kiò lô͘-hî.
ग्रूपर (Grouper) हड्डीदार मछलियों के पर्सिफ़ोर्मेज़ गण के सेरानिडाए कुल के एपिनेफ़ेलिनाए (Epinephelinae) उपकुल के सदस्य होते हैं।
"ग्रूपर" शब्द किसी अज्ञात दक्षिण अमेरिकी आदिवासी भाषा से उत्पन्न हुआ है और पुर्तगाली भाषा से होता हुआ विश्व की अन्य भाषाओं में पहुँचा है। ग्रूपर को फ़िलिपीन्ज़ के लूज़ोन क्षेत्र में "लापू-लापू" और विसाया व मिन्दनाओ में "पुगापो" कहते हैं। न्यूज़ीलैण्ड की माओरी भाषा में इसे "हापुकु"। मध्य पूर्व में इसे "हाम्मूर" कहते है और फ़ारस की खाड़ी में इसे बहुत खाया जाता है।[1][2][3][4]
ग्रूपरों का शरीर बड़ा और मुँह चौड़ा होता है। यह न तो तेज़ी से तैरते हैं और न ही लम्बी दूरियों तक जाते हैं। इनकी लम्बाई १ मीटर से अधिक और वज़न १०० किलोग्राम से ज़्यादा हो सकता है। यह अन्य मछलियाँ, ऑक्टोपुस और क्रस्टेशियाई खाते हैं, जिन्हें वे चबाने की बजाए निग़लना पसंद करते हैं। अपने बड़े मुँह और क्लोम (गिल) से वह तेज़ी से बड़ी मात्रा में पानी अपनी ओर खींच सकते हैं और इसी को वह अपने ग्रास को अपनी तरफ़ खींचने के लिए प्रयोग करते हैं।[5]
ग्रूपर (Grouper) हड्डीदार मछलियों के पर्सिफ़ोर्मेज़ गण के सेरानिडाए कुल के एपिनेफ़ेलिनाए (Epinephelinae) उपकुल के सदस्य होते हैं।